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बीएससी सेमेस्टर-1 जन्तु विज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2657
आईएसबीएन :0

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बीएससी सेमेस्टर-1 जन्तु विज्ञान

प्रश्न- असुगुणिता किसे कहते हैं? विभिन्न प्रकार की असुगुणिताओं का वर्णन कीजिए तथा इनकी उत्पत्ति के स्रोत बताइए।

सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए।
(i) मोनोसोमी
(ii) नलीसोमी अथवा द्विन्यूनसूत्रता
(iii) ट्राइसोमी
(iv) असुगुणिता

2. गुणसूत्र में संख्यात्मक परिवर्तन पर टिप्पणी लिखिए।

उत्तर -

असुगुणिता या गुणसूत्रों में संख्यात्मक परिवर्तन
(Aneuploidy or Numerical Changes in Chromosomes)

कायिक गुणसूत्र संख्या (somatic chromosome number) में एक अथवा अनेक गुणसूत्रों की कमी या वृद्धि असुगुणिता (aneuploidy) कहलाती है तथा इसमें कभी भी सम्पूर्ण जीनोम (genome) की कमी अथवा वृद्धि नहीं पायी जाती हैं। असुगुणिता को 4 भागों में विभाजित किया जा सकता है -

1. मोनोसोमी (Monosomy) - कायिक गुणसूत्र संख्या में एक गुणसूत्र का कम होना मोनोसोमी (monosomy) कहलाता है जिसे 2n-1 द्वारा प्रदर्शित करते हैं। इनमें से किसी गुणसूत्र का समजात नहीं पाया जाता है। अतः समसूत्री विभाजन (meiosis) के समय यह गुणसूत्र अयुग्मित (unpaired) रहता है और यह यूनीवेलेण्ट (univalent) ही रह जाता है। इसमें प्रथम एनाफेज (anaphase I) के समय कुछ विशेषताएँ जैसे (i) यह एक ध्रुव की ओर चला जाता है, (ii) कभी-कभी यह ध्रुव पर न जाकर लुप्त हो जाता है, (iii) कभी-कभी समसूत्री विभाजन (mitosis) के गुणसूत्रों की तरह विभाजन करने लगता है जिसके फलस्वरूप इसका प्रत्येक अर्धगुणसूत्र (chromatid) विपरीत ध्रुव पर चला जाता है, अतः एकन्यूनसूत्री पौधों के 50% युग्मकों में n-1 गुणसूत्र पाये जाते हैं।

जीवधारियों में सम्पूर्ण एक गुणसूत्र की कमी के कारण बहुत हानिकारक कुप्रभाव पड़ता है अर्थात् केवल बहुगुणित (polyploid) जातियों में ही एकन्यूनसूत्री जीवित रहते हैं और द्विगुणित जातियों में इनका जीवन समाप्त हो जाता है। किन्तु द्विगुणित टमाटर में एकन्यूनसूत्री होते हैं। इसी प्रकार गेहूँ, जई तथा कपास में एक न्यूनसूत्री पाये जाते हैं।

2. द्विन्यूनसूत्रीता या नलीसोमी (Nullisomy) - कायिक गुणसूत्र संख्या में एक जोड़ी समजात गुणसूत्रों का कम होना द्विन्यूनसूत्रीता (nullisomy) कहलाता है। अतः द्विन्यूनसूत्रियों में.. गुणसूत्रों की संख्या 2n-1 पायी जाती है। इसका हानिकारक कुप्रभाव जीवधारियों पर पड़ता है। तम्बाकू, कपास की जातियों के बहुगुणित होने पर भी इस प्रभाव के कारण वह जीवित नहीं रह पाती हैं। किन्तु गेहूँ तथा जई के द्विन्यूनसूत्री जीवित रहते हैं। द्विन्यूनसूत्रियों में गुणसूत्री युग्मन सामान्य होता है तथा n - 1 प्रकार के द्विसंयोजी (bivalents) बनते हैं और इस प्रकार के सभी पौधों के युग्मकों में n - 1 प्रकार के गुणसूत्र पाये जाते हैं। अतः इस प्रकार के पौधों में स्वपरागण होता है तथा सभी उत्पपन्न संततियाँ द्विन्यूनसूत्री होती हैं।

3. एकाधिसूत्रता या ट्राइसोमी (Trisomy) - कायिक गुणसूत्र संख्या में एक गुणसूत्र की वृद्धि पर ट्राइसोमी (trisomy) कहलाता है जिसे 2n + 1 द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। इसमें एक गुणसूत्र की तीन प्रतियाँ (copies) पायी जाती हैं। इसमें अर्द्धसूत्री विभाजन में तीनों समजात गुणसूत्र एक साथ मिलकर एक ट्राइवेलेण्ट (trivalent) का निर्माण करते हैं अथवा दो समजात गुणसूत्र मिलकर जोड़ा (pair) बनाते हैं जो बाईवेलेण्ट (bivalent) होता है तथा शेष अतिरिक्त समजात गुणसूत्र यूनीवेलेण्ट (univalent) के रूप में पाया जाता है। अर्धसूत्री विभाजन का प्रथम एनाफेज में ट्राइवेलेण्ट के दो गुणसूत्र यूनीवेलेण्ट एकन्यूनसूत्री एक ध्रुव पर तथा एक गुणसूत्र दूसरे ध्रुव पर पहुँच जाता है। यूनीवेलेण्ट एकन्यूनसूत्री के आयुग्मों की तरह रहता है जिसमें n +1 गुणसूत्र वाले युग्मकों की संख्या 50% से घट जाती है। यद्यपि एकाधिसूत्री जीवित रहते हैं किन्तु एक गुणसूत्र की अधिकता का कुप्रभाव जीवधारियों पर पड़ता है। टमाटर, मटर, जौ तथा बाजरा की द्विगुणित जातियों में एकाधिसूत्री पाये जाते हैं।

4. टेट्रासोमी (Tetrasomy) - इसमें कायिक गुणसूत्र संख्या के अतिरिक्त दो समजात गुणसूत्र (homologous chromosomes) अधिक पाये जाते हैं। अतः यह दशा टेट्रासोमी (tetrasomy) कहलाती है जो 2n + 2 द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। इसमें एक गुणसूत्र की चार प्रतियाँ (copies) होती हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार एक गुणसूत्र में उपस्थित होने की तुलना में गुणसूत्रों का एक जोड़ी उपस्थित होना अत्यधिक कुप्रभावी होता है जिससे हानि होती है। यही कारण है कि टेट्रासोमिक्स ट्राइसोमिक्स की तुलना में कमजोर होते हैं।

टेट्रासोमी में चार समजात गुणसूत्रों के एक साथ जोड़े बनने में एक क्वाड्रीवेलेण्ट (quadrivalent) का निर्माण होता है अथवा इन गुणसूत्रों के परस्पर युग्मन के फलस्वरूप एक ट्राइवेलेण्ट, एक यूनीवेलेण्ट तथा दो बाईवेलेण्ट का भी निर्माण हो सकता है। एनाफेज प्रथम में क्वाण्ड्रीवेलेण्ट ट्राइवेलेण्ट तथा यूनीवेलेण्ट में अनियमित विलगन (dijunction) होता है जिससे अधिकांश युग्मकों में केवल n गुणसूत्र पाये जाते हैं तथा अन्य गुणसूत्र n + 1 प्रकार के होते हैं।

असुगुणित बीज तुलना में छोटे होते हैं जिनमें बहुत कम अंकुरण हो पाता है। इसी प्रकार पराग नलिका काफी धीमी गति से वृद्धि करती है। इस प्रकार नर युग्मकों में पारगमन (transmission) बहुत कम होता है, इसके विपरीत मादा युग्मकों द्वारा असुगुणिता का पारागमन नर की अपेक्षा अधिक होता है।

असुगुणिता का उद्गम (Origin of Aneuploidy) - इसे निम्नलिखित बिन्दुओं द्वारा समझाया जा सकता है -

(i) प्रवृत्ति में स्वतः (spontaneously) n + 1 अथवा n - 1 युग्मकों (gametes) का निर्माण होता रहता है। n + 1 अथवा n 1 युग्मकों के n युग्मकों के साथ संयोग करने से 2n + 1 अथवा 2n - 1 प्रकार के युग्मनज का निर्माण हो सकता है।

(ii) त्रिगुणित (triploid) पौधों में अधिकतर युग्मक असुगुणित n+ 1 या n - 1 प्रकार के होते हैं जिनसे प्रायः असुगुणित सन्ततियाँ प्राप्त होती हैं।

(iii) अर्द्धसूत्री विभाजन (meiosis) के समय असनेप्टिक (asynaptic) पौधों में समजात गुणसूत्रों में युग्मन (pairing) नहीं पाया जाता है इसके विपरीत डिसिनेप्टिक (desynaptic) पौधों में युग्मन होता है। यह गुणसूत्र अपना युग्मन मेटाफेज तक पहुँचने से पूर्व ही समाप्त कर देते हैं जिसके कारण n + 1 तथा n - 1 के युग्मक बनते हैं जो उत्परिवर्तन प्रदर्शित करते हैं।

(iv) स्थानान्तरण वाले विषमयुग्नजों (heterozygotes) में क्वाड्रीवेलेण्ट के चारों गुणसूत्रों का विलगन 3: 1 में हो सकता है जिससे n + 1 तथा n 1 युग्मकों का निर्माण हो सकता है। जब यह युग्मक सामान्य n युग्मकों से संयोग करते हैं तो असुगुणित (aneuploid) पौधे बनते हैं।

(v) अधिकतर n + 1 प्रकार के युग्मक टेट्रासोमिक पौधों में पाये जाते हैं और इस प्रकार के पौधों का संकरण करने से ट्राइसोमिक 2n + 1 प्रकार के युग्मनज बनते हैं।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- कोशा कला की सूक्ष्म संरचना जानने के लिए सिंगर और निकोल्सन की तरल मोजैक विचारधारा का वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- कोशिका सिद्धान्त से आप क्या समझते हैं? प्राणि कोशिका का नामांकित चित्र बनाइए तथा पाँच कोशिका उपांगों के मुख्य कार्यों का वर्णन कीजिए।
  3. प्रश्न- निम्नलिखित वैज्ञानिकों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए - (i) एन्टोनी वान ल्यूवेन हॉक (ii) श्लीडेन तथा श्वान्स
  4. प्रश्न- अन्तरकोशिकीय संचार या कोशिका कोशिका अन्तर्क्रिया पर टिप्पणी लिखिए।
  5. प्रश्न- कोशिका-एडहेसन का वर्णन कीजिए।
  6. प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए - (i) माइक्रोट्यूब्ल्स (ii) माइक्रोफिलामेन्टस (iii) इन्टरमीडिएट फिलामेन्ट
  7. प्रश्न- माइटोकॉण्ड्रिया की संरचना व कार्यों का वर्णन कीजिए।
  8. प्रश्न- एण्डोप्लाज्मिक रेटीकुलम की संरचना तथा कार्यों का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  9. प्रश्न- राइबोसोम की संरचना एवं कार्यों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  10. प्रश्न- परऑक्सीसोम पर टिप्पणी लिखिए।
  11. प्रश्न- वेंकटरमन रामाकृष्णन पर टिप्पणी लिखिए।
  12. प्रश्न- बाह्य प्रोटीन और समाकल प्रोटीन कोशिका कला की पारगम्यता को किस प्रकार प्रभावित करती हैं?
  13. प्रश्न- हरितलवक और माइटोकॉण्ड्रिया में मिलने वाले समान लक्षणों का वर्णन कीजिए।
  14. प्रश्न- परॉक्सीसोम किन कोशिकांगों के साथ मिलकर प्रकाशीय श्वसन (फोटोरेस्पिरेशन) की क्रिया सम्पन्न करता है? प्रकाशीय श्वसन के जैविक कार्यों की समीक्षा प्रस्तुत कीजिए।
  15. प्रश्न- केन्द्रक की संरचना का चित्र सहित वर्णन कीजिए।
  16. प्रश्न- उपयुक्त आरेखों के साथ गुणसूत्र आकारिकी व परासंरचना का वर्णन कीजिए।
  17. प्रश्न- “गुणसूत्रों की विशेष किस्में” विषय पर एक निबन्ध लिखिए।
  18. प्रश्न- न्यूक्लिक अम्ल क्या होते हैं? डी.एन.ए. की संरचना तथा प्रकृति का वर्णन कीजिए।
  19. प्रश्न- वाट्सन तथा क्रिक के द्वारा प्रस्तुत डी. एन. ए. की संरचना का वर्णन कीजिए तथा डी. एन. ए. के विभिन्न प्रकार बताइए।
  20. प्रश्न- राइबोन्यूक्लिक अम्लों की रचना का वर्णन कीजिए तथा इसके जैविक एवं जैव-रासायनिक महत्व पर प्रकाश डालिए।
  21. प्रश्न- मेसेल्सन एवं स्टेहल के उस प्रयोग का वर्णन कीजिए जो अर्द्ध-संरक्षी डी. एन. ए. पुनरावृत्ति को प्रदर्शित करता है।
  22. प्रश्न- जेनेटिक कोड पर टिप्पणी लिखिए।
  23. प्रश्न- गुणसूत्रों की रचना एवं प्रकार का वर्णन कीजिए।
  24. प्रश्न- न्यूक्लिओसोम का वर्णन कीजिए।
  25. प्रश्न- सहलग्नता क्या है? उचित उदाहरण देते हुए इसके महत्त्व की चर्चा कीजिए।
  26. प्रश्न- क्रॉसिंग ओवर को उदाहरण सहित समझाइए तथा इसके महत्व पर प्रकाश डालिए।
  27. प्रश्न- सेण्ट्रोसोम की परिभाषा लिखिए।
  28. प्रश्न- क्रोमेटिन के प्रकारों को बताते हुए हेटेरोक्रोमेटिन को विस्तार से समझाइये।
  29. प्रश्न- किसी एक प्रायोगिक साक्ष्य द्वारा सिद्ध कीजिये कि डी.एन.ए. ही आनुवांशिक तत्व है।
  30. प्रश्न- गुणसूत्र पर पाये जाने वाले विभिन्न अभिरंजन और पट्टिका प्रतिमानों का वर्णन कीजिए।
  31. प्रश्न- B गुणसूत्र का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  32. प्रश्न- डी.एन.ए. और आर.एन.ए. में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  33. प्रश्न- RNA कौन-सा आनुवंशिक कार्य DNA की तरह पूरा करता है?
  34. प्रश्न- नीरेनबर्ग तथा एच.जी.खोराना के योगदान का वर्णन कीजिए।
  35. प्रश्न- क्या RNA का एक स्ट्रेण्ड दूसरा स्ट्रेण्ड संश्लेषित कर सकता है?
  36. प्रश्न- DNA की संरचना फॉस्फोरिक एसिड, पेन्टोज शर्करा तथा नत्रजन क्षार से होती है। इसके वस्तुतः आनुवंशिक तत्व कौन से हैं?
  37. प्रश्न- वाटसन एण्ड क्रिक पर टिप्पणी लिखिए।
  38. प्रश्न- DNA की पुनरावृत्ति में सहायक एन्जाइमों का वर्णन कीजिए।
  39. प्रश्न- कोशिका चक्र से आप क्या समझते हैं? इण्टरफेज में पायी जाने वाली कोशिका चक्र की विभिन्न प्रावस्थाओं का वर्णन कीजिए।
  40. प्रश्न- समसूत्री कोशिका विभाजन का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए तथा समसूत्री के महत्व पर एक टिप्पणी लिखिए।
  41. प्रश्न- अर्धसूत्री कोशिका विभाजन का सविस्तार वर्णन कीजिए तथा इसके महत्व का उल्लेख कीजिए।
  42. प्रश्न- समसूत्री तथा अर्धसूत्री विभाजन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  43. प्रश्न- एक संकर संकरण क्या है? कम से कम दो उदाहरणों को बताइए।
  44. प्रश्न- स्वतन्त्र अपव्यूहन के नियम को समझाइए।
  45. प्रश्न- एक उपयुक्त उदाहरण देते हुए अपूर्ण प्रभाविकता पर एक टिप्पणी लिखिए।
  46. प्रश्न- जन्तुओं में लिंग निर्धारण की विभिन्न विधियों का वर्णन कीजिए।
  47. प्रश्न- मानव में लिंग निर्धारण कैसे होता है?
  48. प्रश्न- लिंग निर्धारण में प्राकृतिक कारकों के प्रभाव का उदाहरण सहित विस्तृत वर्णन कीजिए।
  49. प्रश्न- वंशानुगत तथा आनुवंशिकी में अन्तर बताइए।
  50. प्रश्न- आनुवंशिकी का जनक किसको वस्तुतः कहा जाता है?
  51. प्रश्न- समप्रभाविता की वंशागति को समझाइए।
  52. प्रश्न- “समलक्षणी जीवों की जीनी संरचना भिन्न हो सकती है। यह कथन सही है अथवा गलत? क्यों?
  53. प्रश्न- ग्रीगर जॉन मेण्डल के योगदान को रेखांकित कीजिए।
  54. प्रश्न- कौन-सा कोशिका विभाजन गैमीट पैदा करता है?
  55. प्रश्न- स्यूडोडोमिनेंस पर टिप्पणी लिखिए।
  56. प्रश्न- टेस्ट क्रॉस एवं बैक क्रॉस में अन्तर बताइए।
  57. प्रश्न- टेस्ट क्रॉस तथा बैक क्रॉस को समझाइए।
  58. प्रश्न- मानव में बार बॉडी के महत्व को समझाइये।
  59. प्रश्न- लिंग प्रभावित वंशागति एवं लिंग सीमित वंशागति में अन्तर बताइए।
  60. प्रश्न- लिंग सहलग्न, लिंग प्रभावित और लिंग सीमाबद्धित लक्षणों के बीच सोदाहरण विभेदकीजिए।
  61. प्रश्न- मेरी एफ. लिओन की परिकल्पना समझाइए।
  62. प्रश्न- कारण स्पष्ट कीजिए कि नर मधुमक्खी में शुक्राणुओं का निर्माण समसूत्री विभाजन द्वारा क्यों होता है?
  63. प्रश्न- ZW टाइप लिंग निर्धारण पर टिप्पणी लिखिए।
  64. प्रश्न- पक्षियों में लिंग निर्धारण प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
  65. प्रश्न- स्तनधारी मादा की शुरूआती अवस्था में कौन-सा X क्रोमोसोम हेट्रोक्रोमेटाइज हो जाता है, माता का या पिता का?
  66. प्रश्न- मल्टीपिल ऐलीलिज्म पर एक निबन्ध लिखिए।
  67. प्रश्न- Rh-तत्व क्या है? इसके महत्व एवं वंशागति का वर्णन कीजिए।
  68. प्रश्न- जीन की अन्योन्य क्रिया से आप क्या समझते हैं? उदाहरणों की सहायता से जीन की अन्योन्य क्रिया की विधि का वर्णन कीजिए।
  69. प्रश्न- सहलग्नता क्या है? उचित उदाहरण देते हुए इसके महत्त्व की चर्चा कीजिए।
  70. प्रश्न- क्रॉसिंग ओवर को उदाहरण सहित समझाइए तथा इसके महत्व पर प्रकाश डालिए।
  71. प्रश्न- एक स्त्री का रक्त समूह 'AB' व उसके बच्चे का रक्त समूह '0' है। कारण सहित स्पष्ट कीजिए कि उस बच्चे के पिता का रक्त समूह क्या होगा?
  72. प्रश्न- एक Rh + स्त्री, Rh पुरुष से शादी करती है। इनकी संतति में एरेथ्रोब्लास्टोसिस की क्या सम्भावना है?
  73. प्रश्न- लैंडस्टीनर के योगदान का वर्णन कीजिए।
  74. प्रश्न- रक्त समूह को समझाइए।
  75. प्रश्न- जिनोम को परिभाषित कीजिए।
  76. प्रश्न- 'गृह व्यवस्थापक जीन' या 'रचनात्मक जीन' के बारे में बताइये।
  77. प्रश्न- प्रभावी तथा एपीस्टेटिक जीन में क्या अन्तर है?
  78. प्रश्न- लीथल जीन्स पर टिप्पणी लिखिए।
  79. प्रश्न- पूरक जीन क्रिया को परिभाषित कीजिए।
  80. प्रश्न- गुणसूत्र पर पाये जाने वाले विभिन्न अभिरंजन और पट्टिका प्रतिमानों का वर्णन कीजिए।
  81. प्रश्न- हेट्रोक्रोमेटिन और उसके लक्षण पर टिप्पणी लिखिए।
  82. प्रश्न- क्रासिंग ओवर उद्विकास की प्रक्रिया है। स्पष्ट कीजिए।
  83. प्रश्न- लिंकेज ग्रुप पर टिप्पणी लिखिए।
  84. प्रश्न- सामान्य मानव कैरियोटाइप का वर्णन कीजिए।
  85. प्रश्न- गुणसूत्रीय विपथन पर एक निबन्ध लिखिए।
  86. प्रश्न- असुगुणिता किसे कहते हैं? विभिन्न प्रकार की असुगुणिताओं का वर्णन कीजिए तथा इनकी उत्पत्ति के स्रोत बताइए।
  87. प्रश्न- लिंग सहलग्न वंशागति से आप क्या समझते हैं? मनुष्य या ड्रोसोफिला के सन्दर्भ में इस परिघटना का उदाहरणों सहित विवेचन कीजिए।
  88. प्रश्न- क्लाइनफिल्टर सिंड्रोम कार्यिकी अथवा गुणसूत्र के असामान्य स्थिति का परिणाम है। स्पष्ट कीजिए।
  89. प्रश्न- मंगोलिज्म या डाउन सिन्ड्रोम क्या है?
  90. प्रश्न- टर्नर सिन्ड्रोम उत्पन्न होने के कारण एवं उनके लक्षण लिखिए।
  91. प्रश्न- समक्षार उत्परिवर्तन पर टिप्पणी लिखिए।
  92. प्रश्न- अनुप्रस्थ विस्थापन पर टिप्पणी लिखिए।
  93. प्रश्न- पोजीशन एफेक्ट क्या है? उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।
  94. प्रश्न- लिंग सहलग्नता प्रक्रिया को समसूत्री नर व समसूत्री मादा में स्पष्ट कीजिए।
  95. प्रश्न- वर्णान्ध व्यक्ति रेलवे ड्राइवर क्यों नहीं नियुक्त किये जाते हैं?
  96. प्रश्न- मानव वंशागति के अध्ययन में क्या मुख्य कठिनाइयाँ हैं?
  97. प्रश्न- संक्रामक जीनों से आप क्या समझते हैं?
  98. प्रश्न- वंशावली विश्लेषण पर टिप्पणी लिखिए।
  99. प्रश्न- लिंग सहलग्न वंशागति के प्रारूप का वर्णन कीजिए।
  100. प्रश्न- अफ्रीकी निद्रा रोगजनक परजीवी की संरचना एवं जीवन चक्र का वर्णन कीजिए।
  101. प्रश्न- वुचरेरिया बैन्क्रोफ्टाई के वितरण, स्वभाव, आवास तथा जीवन चक्र का वर्णन कीजिए।
  102. प्रश्न- जिआर्डिया पर एक विस्तृत लेख लिखिए।
  103. प्रश्न- एण्टअमीबा हिस्टोलायटिका की संरचना, जीवन-चक्र, रोगजन्यता एवं नियंत्रण का वर्णन कीजिए।
  104. प्रश्न- अफ्रीकी निद्रा रोग क्या है? यह कैसे होता है? इसके संचरण एवं रोगजनन को समझाइए। इस रोग के नियंत्रण के उपाय बताइए।
  105. प्रश्न- फाइलेरिया क्या है? इसके रोगजनकता एवं लक्षणों तथा निदान का वर्णन कीजिए।
  106. प्रश्न- जिआर्डिया के प्रजनन एवं संक्रमित रोगों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  107. प्रश्न- जिआर्डिया में प्रजनन पर टिप्पणी लिखिए।
  108. प्रश्न- जिआर्डिया पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।

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